काठमांडू का ये सफर, कहा न जाए कितना मधुर। काठमांडू का ये सफर, कहा न जाए कितना मधुर।
सबकी तब ही है जब चले साथ लेकर सब को। सबकी तब ही है जब चले साथ लेकर सब को।
और हम पूरी तरह आज़ाद कभी नहीं कहलाएँगे। और हम पूरी तरह आज़ाद कभी नहीं कहलाएँगे।
विविध है जहां सभी ऐसा अपना देश फिर भी सब एक सूत्र में है बंध जाते विविध है जहां सभी ऐसा अपना देश फिर भी सब एक सूत्र में है बंध जाते
किसी अमीर के दिल में समानता का भाव दिखता है किसी अमीर के दिल में समानता का भाव दिखता है
मुझको जो धरती की सीमाएं बतायीं गई थी, पर सच में उस सीमा को, कागज़ से बाहर निकाल न पाया, जैसी भिन्नता ... मुझको जो धरती की सीमाएं बतायीं गई थी, पर सच में उस सीमा को, कागज़ से बाहर निकाल न...